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सोमवार को लोकसभा मे डिजिटल पर्टेक्शन बिल पास हो गया ,इस बिल के से आम आदमी की डाटा संभालने और संसाधित करने वाली संस्थाओं के दायित्वों के साथ-साथ व्यक्तियों के अधिकारों को निर्धारित करता है. ऐसा न करने वालों को नियमों के अनुसार अधिकतम 250 करोड़ और न्यूनतम 50 करोड़ का जुर्माना लगने का प्रसताव पारित किया गया है
यह बिल देश्वसियों के सापेक्ष मे लेकर लाया गया है फेले देखा जाता था की किसी भी रजिस्ट्रेशन संबंद्धती कार्यों मे कंपनी या प्लेटफार्म आम आदमी की अपना पर्सनल डाटा यूज करने की अनुमति मांगती थी इसमें कंपनी और उपभोकता के बीच इस तरह की स्थिति स्पष्ट नहीं होती है कि इस डाटा का प्रयोग कंपनी कैसे करेगी.
बता दें कि निजी डाटा में लोगों का फोन नंबर, आधार कार्ड , पैन कार्ड , एड्रेस, लोकेशन सब कुछ होता है| इसके लीक होने से हैकर्स आसानी से उपभोकता की जानकारी को हासिल कर सकते हैं और उनके बैंक अकाउंट खाली करने से लेकर तमाम तरह के नुकसान पहुंचा सकते हैं. यही वजह है कि देश की तमाम पॉलिसी संस्थाएं लगातार सरकार पर दबाव बना रही थीं कि देश में डाटा सुरक्षित के लिए एक कानून होना चाहिए जो आम लोगों के डाटा की सुरक्षा करे.
इस बिल में क्या है खास
इस बिल के मुताबिक बिना उपभोकता की अनुमति के डाटा का इस्तेमाल नहीं हो सकता. कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी जानकारी देनी होगी. किसी भी समय ग्राहक अपना कन्सेंट वापस ले सकता है. गलत इस्तेमाल पर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान है.
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